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रविवार, 3 मई 2009

शहर तुम्हारा ? हमने देखा शहर तुम्हारा

शहर तुम्हारा ? हमने देखा शहर तुम्हारा
शासक-चोर, लुटेरा-नेता शहर तुम्हारा

संगीनों की नोंक मिली जिस ओर गए हम
बख्तरबंद पुलिस का पहरा शहर तुम्हारा

फुटपाथों को चना-चबेना मिल न सका पर
आदमखोर हुआ सब खाता शहर तुम्हारा

देह किसी ने बेची, कोई बच्चे बेचे
बदले में ठोकर ही देता शहर तुम्हारा

गाँवों के काँधे चिन दीं ऊँची मीनारें
लें अँगड़ाई तभी गिरेगा शहर तुम्हारा

की मनमानी भर आँखों में मोम सभी की
सूर्य उगा है अब पिघलेगा शहर तुम्हारा (95)

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