दर्द से हमने जबाड़े कस लिए
सिर्फ अभिनय जानकर तुम हँस दिए
हैं पडी बँधुआ हमारी पीढ़ियाँ
रौंदिए या चुटकियों में मसलिए
पालकी को सात पुश्तें ढ़ो रहीं
पद-प्रहारों में तुम्हारे हम जिए
यह तुम्हारे पाप का अंतिम चरण
रक्त की इस कीच में तुम धँस लिए
चीखने से कुछ नहीं होगा ; गले
अब हमारी उँगलियों में फँस लिए [129 ]
19 /7 /1982
सिर्फ अभिनय जानकर तुम हँस दिए
हैं पडी बँधुआ हमारी पीढ़ियाँ
रौंदिए या चुटकियों में मसलिए
पालकी को सात पुश्तें ढ़ो रहीं
पद-प्रहारों में तुम्हारे हम जिए
यह तुम्हारे पाप का अंतिम चरण
रक्त की इस कीच में तुम धँस लिए
चीखने से कुछ नहीं होगा ; गले
अब हमारी उँगलियों में फँस लिए [129 ]
19 /7 /1982