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शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

सबका देश समान है, सबका झंडा एक

सबका देश समान है, सबका झंडा एक 

सब की धरती एक है, मन की भाषा एक 


साथ सभी मिलकर चलें, चलें प्रगति की राह 

सबके सपने एक हों, सबकी आशा एक 


साथ साथ खाएँ सभी,  सब में रोटी बाँट 

सबकी भूख समान है, और पिपासा एक 


घोल रहे जो कुएँ में, संप्रदाय की भाँग 

उन्हें खींच बाज़ार में, करें तमाशा एक 


टोपी, कुर्सी, धर्म से, ऊपर अपना देश 

राजनीति के गाल जन, जड़े तमाचा एक 


जो नक्शे को नोंचते, काटें वे नाखून 

भारतीय सब एक हैं, सबका नक्शा एक 


यह अक्षय वट देश का, सके न कोई काट 

शीश कटें, कट कट उगें, करें प्रतिज्ञा एक


#पुरानी_डायरी  से 

(नई दिल्ली : 8 अगस्त, 1984)