रोज़ सबेरे चिड़िया गाकर मुझे इशारा करती है!
'चुप रहने से मरना बेहतर' ख़ूब पुकारा करती है!!
राजा के दो सींग, पता है यों तो सारी दुनिया को;
भोली परजा किंतु आरती रोज़ उतारा करती है!
वे कहते हैं - हमने घर-घर सोना-चाँदी बरसाया;
पगली एक भिखारिन हँसकर उन्हें निहारा करती है!
जाने किस दिन इन गलियों में उस दाता का फेरा हो;
पाँच बरस से वह घर-आँगन रोज़ बुहारा करती है!
कभी हमारी बस्ती से भी होकर गुज़रो, बड़े मियाँ!
भूखे बच्चों की इक टोली पत्थर मारा करती है!!
10 अक्टूबर, 2022
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