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शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

रोज़ सबेरे चिड़िया गाकर मुझे इशारा करती है!

रोज़ सबेरे चिड़िया गाकर मुझे इशारा करती है!
'चुप रहने से मरना बेहतर' ख़ूब पुकारा करती है!!

राजा के दो सींग, पता है यों तो सारी दुनिया को;
भोली परजा किंतु आरती रोज़ उतारा करती है!

वे कहते हैं - हमने घर-घर सोना-चाँदी बरसाया;
पगली एक भिखारिन हँसकर उन्हें निहारा करती है!

जाने किस दिन इन गलियों में उस दाता का फेरा हो;
पाँच बरस से वह घर-आँगन रोज़ बुहारा करती है!

कभी हमारी बस्ती से भी होकर गुज़रो, बड़े मियाँ!
भूखे बच्चों की इक टोली पत्थर मारा करती है!!

10 अक्टूबर, 2022

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