मार्च आँधी और आँधी जून है
कैक्टसी वन, सूखती जैतून है
प्रेम पर पत्थर बरसते मृत्यु तक
यह तुम्हारे देश का क़ानून है
मुक्ति की चर्चा भला कैसे करें
राजमुद्रांकित हरिक मज़मून है
दूध में धुल कर सफ़ेदी में पुते
चेहरे हैं, होंठ पर तो ख़ून है
सत्य कहने की ज़रा हिम्मत करो!
गरदनों पर बाज़ का नाख़ून है
(24/9/1981)
पुरानी डायरी
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