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गुरुवार, 1 जून 2023

हाँ, सोने के बँगले में, सोते हैं राजाजी

हाँ, सोने के बँगले में, सोते हैं राजाजी

पर, चाँदी के जँगले में, रोते हैं राजाजी


नारद जी लेकर आए हैं खबर बहुत पक्की

धरती पर साकार ब्रह्म,  होते हैं राजाजी 


श्वेत झूठ की वैतरणी में खूब नहाए हैं

हरिश्चंद्र के कहने को, पोते हैं राजाजी


बहू-बेटियों की इज़्ज़त से कीचक खेल रहे

कभी न पर अपना संयम, खोते हैं राजाजी


बने धर्म अधिकारी लेकर न्यायदंड स्वर्णिम

सब अपनों के पाप-करम, ढोते हैं राजाजी


वह कबीर वाली चादर मैली कर डाली है

नित्य प्रजा के आँसू से, धोते हैं राजाजी


अध्यादेशों पर नाखूनों से अक्षर लिख कर

लोकतंत्र का जप करते, तोते हैं राजाजी


दान-पुण्य करके चुनाव का अश्वमेध करते

किंतु नाश के बीज स्वयं, बोते हैं राजाजी 000

31/5/2023

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