गली गली में शोर है
कुर्सी वाला चोर है
अंग अंग में पीव, यों
कसक रहा हर पोर है
यह लो, खतरा आ गया
अंबर में घनघोर है
बीच शहर में आ चुका
साँप निगलने मोर है
खून पूर्व में छा रहा
होने वाली भोर है [120]
6 /11 /1981
कुर्सी वाला चोर है
अंग अंग में पीव, यों
कसक रहा हर पोर है
यह लो, खतरा आ गया
अंबर में घनघोर है
बीच शहर में आ चुका
साँप निगलने मोर है
खून पूर्व में छा रहा
होने वाली भोर है [120]
6 /11 /1981
2 टिप्पणियां:
सरकारी ज़ुल्म पीप और पोर पोर में दर्द ही तो दे पाएंगे :(
सुंदर रचना .
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