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शनिवार, 25 जून 2011

सुनिए नई कमान लाया है शिकारी

सुनिए नई कमान लाया है शिकारी
खतरे में आसमान; आया है शिकारी

है धाँय धाँय धाँय या हाय हाय हाय
बन करके कोहराम छाया है शिकारी

वे बाज़ बच गए उत्सव में जिन्होंने
पंजों से रक्त-राग गाया है शिकारी

आँसू के आचमन, चीखों के मंत्र हैं
निर्दोष-रक्त में न्हाया है शिकारी

कोंपल प' चक्रधर जो एक तृण उगा
वह चीरता आता, माया है शिकारी  [121]

 09 /11 /1981  

1 टिप्पणी:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

जिसके पास जितने नये तीर कमान, उसकी उतनी बड़ी पूछ... सभी तो सिर झुकाते हैं उसके सामने॥