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गुरुवार, 24 नवंबर 2022

यह डगर कठिन है, तलवार दुधारी है

यह डगर कठिन है, तलवार दुधारी है
घात लगा कर बैठा क्रूर शिकारी है

वे भला समर्पण-श्रद्धा क्या पहचानें
उनके हाथों में  नफ़रत की आरी है

ईरान कहें या अफ़ग़ानिस्तान कहें
घर-बाहर कोड़ों की ज़द में नारी है

मुट्ठी में ले जिसने आकाश निचोड़ा 
कोमल मन लेकर वह सबसे हारी है

आदम के बेटों के पंजे शैतानी 
नई सदी की यह त्रासद लाचारी है

(हैदराबाद : 24/11 2022)

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