छंद छंद गीत का प्रान हो गया
शब्द शब्द अग्नि का बान हो गया
धुंध चीर कर उगा रक्त सूर्य जो
वेद औ' सनातन कुरान हो गया
बहरों की बातें विधान पर बहस
राजपद गोलघर दुकान हो गया
सुनते हैं अंधों की भीड़ पर अब
लाठियां चलें प्रावधान हो गया
दिल्ली बाज़ार में ठोकरें पड़ीं
माथे पर काला निशान हो गया
घेर कर फसल घिरे बाज़-टिड्डियां
होरी गुलेल ले मचान हो गया
झील में विष घुला राजनीति का
नीलकंठ गाँव वह जवान हो गया [131]
8/1/1982
शब्द शब्द अग्नि का बान हो गया
धुंध चीर कर उगा रक्त सूर्य जो
वेद औ' सनातन कुरान हो गया
बहरों की बातें विधान पर बहस
राजपद गोलघर दुकान हो गया
सुनते हैं अंधों की भीड़ पर अब
लाठियां चलें प्रावधान हो गया
दिल्ली बाज़ार में ठोकरें पड़ीं
माथे पर काला निशान हो गया
घेर कर फसल घिरे बाज़-टिड्डियां
होरी गुलेल ले मचान हो गया
झील में विष घुला राजनीति का
नीलकंठ गाँव वह जवान हो गया [131]
8/1/1982
3 टिप्पणियां:
तीखी रोशनी ! सर जी बधाई !
काश! कि शब्द शब्द अग्नि का बाण हो जाय और देश की दिशा सुधर जाय।
नीलकंठ गाँव का जवान हो गया ,सशक्त पंक्ति .बधाई स्वीकारें
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