क़त्ल इन्होंने करवाए हैं
क़त्ल इन्होंने करवाए हैं
गीत अहिंसा के गाये हैंसारे मोती चुने इन्होंने
हमने तो आँसू पाए हैंदोपहरी इनकी रखेल है
अपने तो साथी साए हैंजल्लादों ने प्रह्लादों को
विष के प्याले भिजवाए हैंअश्वमेध वालों से कह दो
अब की तो लव - कुश आए हैंनयनों में लौ-लपट झूमती
मुट्ठी में ज्वाला लाए हैं [६४]
2 टिप्पणियां:
जल्लादों ने प्रह्लादों को
विष के प्याले भिजवाए हैं
>बहुत ओज की तेवरी और समसामिक भी। बधाई स्वीकारें।
पक्तियों की जितनी तारीफ की जाये कम होगी।
महाशक्ति
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