भूखे पेटो का अनुशासन बेमानी है
अम्मृत के आश्वासन देना नादानी है
सूखे होठों की दवा घूँट भर पानी है
कितनी कुटियों में नहीं हुई दीया-बाती
क्यों भला हवेली बिजली की दीवानी है?
रग्घू की माँ तो चिथडों से गुदडी सीती
शोषण की साड़ी में पर दिल्ली रानी है
दाएँ-बाएँ बोल कवायद करने वालो !
भूखे पेटों का अनुशासन बेमानी है
धरती की चीखों से पीड़ा से आज तलक
अंधी-बहरी कुर्सी बिल्कुल अनजानी है ६३
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें