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गुरुवार, 18 दिसंबर 2008

भूखे पेटो का अनुशासन बेमानी है

भूखे पेटो का अनुशासन बेमानी है



अम्मृत के आश्वासन देना नादानी है
सूखे होठों की दवा घूँट भर पानी है


कितनी कुटियों में नहीं हुई दीया-बाती
क्यों भला हवेली बिजली की दीवानी है?


रग्घू की माँ  तो चिथडों से गुदडी सीती
शोषण की साड़ी में पर दिल्ली रानी है


दाएँ-बाएँ बोल कवायद करने वालो !
भूखे पेटों का अनुशासन बेमानी है


धरती की चीखों से पीड़ा से आज तलक
अंधी-बहरी कुर्सी बिल्कुल अनजानी है             ६३

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