दुर्दांत दस्यु रखवाले
सब झूठे मन के काले
ये नमक छिडकते पल पल
छिल छिल कर छोलें छाले
पत्तों की पूजा करते
जड, छाछ सींचने वाले
हम मूरख औढरदानी
हमने भस्मासुर पाले
वे लिए गुलेल खड़े हैं
गा ले, कोकिल! तू गा ले [134]
सब झूठे मन के काले
ये नमक छिडकते पल पल
छिल छिल कर छोलें छाले
पत्तों की पूजा करते
जड, छाछ सींचने वाले
हम मूरख औढरदानी
हमने भस्मासुर पाले
वे लिए गुलेल खड़े हैं
गा ले, कोकिल! तू गा ले [134]
1 टिप्पणी:
वाह, बहुत सुन्दर!
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