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बुधवार, 2 मई 2012

दुर्दांत दस्यु रखवाले

दुर्दांत दस्यु रखवाले
सब झूठे मन के काले

ये नमक छिडकते पल पल
छिल छिल कर छोलें छाले

पत्तों की पूजा करते
जड, छाछ सींचने वाले

हम मूरख औढरदानी
हमने भस्मासुर पाले

वे लिए गुलेल खड़े हैं
गा ले, कोकिल! तू गा ले  [134]

पूर्णकुंभ - सितंबर 2012 - आवरण पृष्ठ 


1 टिप्पणी:

Smart Indian ने कहा…

वाह, बहुत सुन्दर!