सारे सपने आधे, जनता परेशान है
सिर पर कुर्सी लादे, जनता परेशान है
लिए हाथ में लट्ठ अराजक टहल रहे हैं
किसकी मुश्कें बाँधे, जनता परेशान है
जल्लादों की फौज माँगने वोट चली है
इनके भाँप इरादे, जनता परेशान है
अपने हत्यारे चुनने की आज़ादी है
झुके हुए सिर-काँधे, जनता परेशान है
भरे जेब में पत्थर कब से घूम रही है
किस किस के सिर साधे, जनता परेशान है [136]
सिर पर कुर्सी लादे, जनता परेशान है
लिए हाथ में लट्ठ अराजक टहल रहे हैं
किसकी मुश्कें बाँधे, जनता परेशान है
जल्लादों की फौज माँगने वोट चली है
इनके भाँप इरादे, जनता परेशान है
अपने हत्यारे चुनने की आज़ादी है
झुके हुए सिर-काँधे, जनता परेशान है
भरे जेब में पत्थर कब से घूम रही है
किस किस के सिर साधे, जनता परेशान है [136]
1 टिप्पणी:
Very nice sir..👏👏
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